Shayari for Love and Life

हर बार मुकद्दर को कुसुरवार ठहराना अच्छी बात नही
कभी कभी हम उन्हें भी मांग लेते है जो किसी और के होते है


कुछ पेचीदा लफ्जों में मैंने अपनी बात रखी,
जमाना हँसता गया, जज्बात रोते गये…


तेरे लिए इस दिल ने कभी बुरा नहीं चाहा…
ये और बात है मुझे साबित करना नहीं आया….


या तो हमें मुकम्मल चालाकियाँ सिखाई जाएं
नहीं तो मासूमों की अलग बस्तियाँ बसाई जाएं


तुझे कोई और भी चाहे इस बात से दिल थोड़ा जलता है,
पर फखर है मुझे इस बात पर कि हर कोई मेरी पसंद पे ही मरता है।


कुछ लोग "ज़िन्दगी" होते हैं
कुछ लोग ज़िन्दगी"में होते हैं
कुछ लोगों से "ज़िन्दगी" होती है
पर "कुछ" लोग होते हैं तो "जिंदगी" होती है.


मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर,
ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी


फासले ही अच्छे है इश्क में यारों,
ज्यादा करीब रहने से मोहब्बत पाक नहीं रहती !!


जो लोग अंदर से कुछ और
बाहर से कुछ और नजर आते है
इक वक्त आता है जब वो
हर एक के दिल से उतर जाते है


हर किसी के नसीब मे कहाँ लिखी है चाहते..
कुछ लोग दुनिया मे आते है फकत तन्हाईयों के लिए..


हर रोज़ दरवाजे़ के नीचे से
सरककर आती है सारे जहान की ख़बरें..
एक तुम्हारा हाल ही जानना
इतना मुश्किल क्यूं है..


खेल तो बहुत अच्छा था,
ज़िन्दगी थी तो बच गये
हर तीर मेरी तरफ था,
बस हमी निशाने से हट गये


बहुत जी चुके हम उनके लिये जिनको हम पसंद करते थे
लेकिन अब हमें जीना है उनके लिए जो हमें पसंद करते है


बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना
कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में !


आँधियाँ हसरत से
अपना सर पटकती रह गईं,
बच गए वो पेड़
जिनमें हुनर झुकने का था